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Arrow right पीयूष वाणी

* काम और क्रोध ईश्वरीय शक्तियॉं हैं जो मनुष्य को उपहार मे मिली हैं, इनको नियंत्रण में रख

कर इनका ठीक-ठीक उपयोग करना ही मनुष्य के लिये श्रेयस्कर है और यही धर्म है ।
 

** जिन कर्मो से जीव का आत्म कल्याण हो, जिनसे वह ईश्वरानुरागी बने, उसे शास्त्रो ने 'धर्म'

कहा है। धर्म के अर्थ-कर्तव्य वा ड्यूटी के हैं । धार्मिक ग्रंथो में धर्म के तीन स्तम्भ माने गए हैं। त

प, अध्यात्म और दान; इन तीन स्तम्भो पर धर्म की ईमारत खडी है

Date: 10/01/2012 10:31   -   Par: gps786   -   Lectures: 13   -   Catégorie: Science


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